7 Steps For Successful Use of Drugs औषधियों के सफल प्रयोग के लिये 7 चरण

7 Steps For Successful Use of Drugs
औषधियों के सफल प्रयोग के लिये 7 चरण
1. विकृति जानिये (Know the underlying pathology) :-
चिकित्सा का लक्ष्य विकृति नष्ट करके प्राकृत अवस्था स्थापित करना है।बिना लक्ष्य जाने आप कोई प्रभावशाली रणनीति नहीं बना सकते। अतः यह जानने का भरसक प्रयास करिये कि ...

• विकृति कहाँ है (Site of abnormality) - यह जानने का प्रयास करिये कि विकृति किस धातु-उपधातु, स्रोतस्, व अंगावयव में है।

विकृति क्या है (Nature of abnormality) - यह जानने का प्रयास करिये कि विकृति का स्वभाव (Nature) क्या है - शोथ, धातुनाश, अर्बुद, धातुक्षय, धातु-वृद्धि, अल्प-रक्ततता इत्यादि।

विकृति क्यों है (Etiology of abnormality) - यह जानने का प्रयास करिये कि विकृति का कारण क्या है - मिथ्या जीवनशैली, मिथ्या-परिणाम (Environment)इत्यादि।

विकृति कैसे हुई (Pathogenesis of abnormality) - यह जानने का प्रयास करिये कि विकृति किस प्रकार से पैदा हुई व आगे बढ़ी।

2. सही औषधियाँ चुनिए (Select right medicines) :-
विकृत को प्रभावशाली ढंग से नष्ट करने हेतु सही औषधियों का उपयोग अनिवार्य है। इसके लिये आवश्यक है कि ...
• वही औषधियाँ चुनी जाएँ जिनका उपयोग आयुर्वेद के अधिकांश आचार्यों ने अधिकतम व वारंवार किया हो;
• जिन औषधियों के घटकों की उपयोगिता वैज्ञानिक अनुसंधान से स्थापित हो गयी हो;
• अन्य चिकित्सकों ने जिन औषधियों को उपयोगी पाया हो; व
• आपके अपने अनुभव में जो औषधियाँ श्रेष्ठ परिणाम देती हों।

_उदाहरणः 
हृदयशूल में पुष्करमूल, 
आमविष में अश्वगन्धा व भल्लातक, 
मनो-अवसाद में ज्योतिष्मती, 
मधुमेह में मामज्जक, 
विषाणु-जन्य संक्रमण में कालमेघ, 
जीवाणु-जन्य संक्रमण में चिरायता व अतिविषा, 
वृक्क-अक्षमता में पुनर्नवा, भृंगराज, व भूम्यामलकी, इत्यादि।_

3. चुनी हुई औषधियों की सही मात्रा निर्धारित करिये (Use medicines in right dose) :-

चुनी हुई औषधियों से अधिकतम परिणाम प्राप्त करने हेतु उन्हें सही मात्रा (Therapeutic dose) में प्रयोग करना अनिवार्य है। कम मात्रा में प्रयोग किये जाने पर औषधी अपना पूर्ण कर्म नहीं कर सकती, जबकि अधिक मात्रा से उसके कुप्रभाव आ सकते हैं।

_उदाहरणः 
चूर्ण 3-6 ग्राम, दिन में एक से छः बार; 
घन टैब्लॅट (600 mg) 1-2 टैब्लॅट्स, दिन में एक से छः बार।_

4. चुनी हुई औषधियों की सही कल्पना निर्धारित करिये (Select right form of the drugs):-

चुनी हुई औषधियों को सही कल्पना (Preparation) में प्रयोग करना अनिवार्य है। यदि रोगी किन्हीं कारणों से चूर्ण / कल्क / क्वाथ / आसव / अरिष्ट इत्यादि नहीं ले सकता, तो ऐसे में औषधियों के घन (Extract) का उपयोग श्रेयस्कर रहता है।

उदाहरणः 
तुलसी स्वरस / घन टैब्लॅट, 
अर्जुन क्षीर-पाक / घन टैब्लॅट, 
अश्वगन्धा चूर्ण / घन टैब्लॅट, 
शिलाजतु शुद्ध, इत्यादि।_

5. सही गुणवत्ता वाली औषधियाँ चुनिए (Use quality medicines):-
कम गुणवत्ता वाली औषधियाँ वांछित लाभ नहीं दे सकतीं। अतः अधिकतम गुणवत्तापूर्ण औषधियों का उपयोग अनिवार्य है। इसके आपको औषध निर्माण करने वाली कम्पनी की सम्पूर्ण जानकारी आवश्यक है, कि ...
• क्या कम्पनी के पास सही औषध निर्माण करने वाले आवश्यक यन्त्र व उपकरण हैं?
• क्या कम्पनी औषध निर्माण के निर्धारित मानकों (cGMP) पर कार्य करती है?
• क्या कम्पनी के पास औषधियों के परीक्षण के लिये आधुनिकतम रसायनशाला (QC Lab) है?

6. जब तक आवश्यक हो औषधियाँ जारी रखें (Continue the medicines until needed):-

वांछित परिणाम प्राप्त होने पर औषधियों को आवश्यक अवधि तक जारी रखें व फिर धीर-धीरे उनकी मात्रा कम करें (Taper off)। औषधियों को सहसा बन्द कर देने से विकृति की पुनरावृत्ति हो सकती है, अथवा विकृति का सम्पूर्ण विनाश नहीं हो पाता।

7. विकृति की पुनरावृत्ति होने पर औषधियाँ तत्काल पुनः आरम्भ करें (Restart the medicines in case of relapse / recurrence of abnormality):-
यदि किन्हीं कारणों से विकृति की पुनरावृत्ति हो जाये तो ऐसे में बिना समय गंवाये तत्काल औषधियों का प्रयोग पुनः आरम्भ कर दें। विलम्ब होने पर विकृति के बढ़ने व असाध्य होने का भय रहता है 

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