LEUCORRHOEA - Complete Management
श्वेतप्रदर - सम्पूर्ण इलाज
यदि आप आयुर्वेद चिकित्सक हैं व आप स्त्री रोगों का उपचार करते हैं, तो आप इस सच्चाई को अवश्य स्वीकार करेंगे कि श्वेतप्रदर (Leucorrhea / Whitish discharge) महिलाओं में होने वाली एक बहुत बड़ी समस्या है, जिससे महिला को शारीरिक कष्ट के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना भी होती है।
इसके साथ-साथ आप इस बात से भी इन्कार नहीं करेंगे कि अनेकों बार श्वेतप्रदर का सर्वोत्तम उपचार करने पर भी वाँछित परिणाम प्राप्त नहीं होते। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह लेख तैयार किया गया है। हमारा मानना है कि इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किये जाने वाले उपचार के परिणाम कहीं अधिक बेहतर हो सकते हैं।
सबसे पहले यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि श्वेतप्रदर प्राकृत (Physiological) है अथवा वैैकारिक (Pathological)। इसके आपको महिला की विस्तृत इतिवृत (History) लेनी होगी, उसकी गहन शारीरिक व मानसिक परीक्षा (Physical & Mental Examination) करनी होगी, तथा आवश्यक परीक्षण (Investigations) कराने होंगे।
यदि यह निश्चित हो जाता है कि श्वेतप्रदर वैकारिक (Pathological) है तो निम्न रीति से आगे बढ़ें -
1. ऍस्ट्रोजॅन को सन्तुलित करें (Balance the Estrogen):
बहुत सी महिलाओं में श्वेतप्रदर का कारण ऍस्ट्रोजॅन का असन्तुलन (Imbalance of Estrogen) होता है। इसका उपचार निम्न औषधियों के युक्तिपूर्वक प्रयोग के द्वारा करना चाहिए -
_A. आर्तवकाल के दौरान आर्तव-जनन औषधियों (Emmenagogue drugs) का युक्तिपूर्वक उपयोग करें -_
• उलटकम्बल, हीराबोल, घृतकुमारी अथवा
• उलटकम्बल अथवा
• घृृतकुमारी - स्वरस, मुसब्बर चूर्ण, Ghrit-kumari अथवा
• कार्पास - Karpas
_B. आर्तवकाल के अन्य दिनों में ऍस्ट्रोजॅन की क्रिया बढाने वाली औषधियों का युक्तिपूर्वक उपयोग करें -_
•पत्राँग: - पत्राँग श्वेतप्रदर की अचूक औषधी है जो अपने विशिष्ट गुण-कर्मों के कारण, स्त्री-प्रजननांगों में मौजूद विकृतियों को नष्ट करके, योनि-मार्ग से निकलने वाले अत्यधिक स्राव को नियन्त्रित करती है। इसे आप पत्रांगासव के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
• अशोक - अशोक भी श्वेतप्रदर की विशिष्ट औषध है। यह ऍस्ट्रोजॅन की क्रिया नियन्त्रित करके व प्रजननांगों में मौजूद शोथ दूर करके श्वेतप्रदर में लाभ करता है। इसे आप अशोक चूर्ण, तथा अशोकारिष्ट के रूप में प्रयोग कर सकते हैं; अथवा
• शतावरी - शतावरी भी श्वेतप्रदर की विशिष्ट औषध है। यह ऍस्ट्रोजॅन की नियन्त्रित करके व प्रजननांगों को बलवान व निरोगी बना कर श्वेतप्रदर में लाभ करती है। इसे आप शतावरी घन टैब्लॅट (Shatavari ghan tab) तथा शतावरी चूर्ण के रूप में प्रयोग कर सकते हैं;
• लज्जालु - चूर्ण,
• अशोक, लोध्र, लज्जालु
• शतावरी, पुत्रञ्जीव, शिलाजतु, त्रिवंग
• मुसली - चूर्ण, पाक,
• शुण्ठी - चूर्ण, सौभाग्य-शुण्ठी पाक,
2. संक्रमणहर उपचार (Anti-infective treatment):
यह जानने का प्रयास करें कि कहीं स्त्री के प्रजनन अंगों (Female reproductive organs) में किसी प्रकार का कोई संक्रमण (Infection) तो नहीं। यदि हाँ तो फिर यह संक्रमण किस प्रकार का है। अर्थात् जीवाणु-जन्य (Bacterial) है, अथवा मधुरिका-जन्य (Fungal) है। और, उसी के अनुसार फिर औषधियों का प्रयोग भी करें।
_A. जीवाणुहर उपचार (Anti-bacterial treatment):_
जीवाणु-जन्य संक्रमण होने पर आप निम्न जीवाणु-रोधक (Anti-bacterial) औषधियों का युक्तिपूर्वक प्रयोग कर सकते हैं -
• चिरायता - चिरायता स्त्री-प्रजननांगों में मौजूद संक्रमण व शोथ नष्ट करके श्वेतप्रदर में लाभ करता है। इसे आप चिरायता घन टैब्ल, सुदर्शन-घन वटी, के रूप में प्रयोग कर सकते हैं;
• अतिविषा - अतिविषा भी स्त्री-प्रजननांगों में मौजूद संक्रमण नष्ट करके श्वेतप्रदर में लाभ करती है। इसे आप अतिविषा घन टैब्लॅट के रूप में प्रयोग कर सकते हैं;
• चिरायता, अतिविषा, गन्धक, यशद
• गुग्गुलु, भल्लातक, चित्रक
• गुग्गुलु (त्रिफला गुग्गुलु, कैशोर)
• मञ्जिष्ठा (महामञ्जिष्ठादि क्वाथ)
• सारिवा
• निम्ब (निम्बादि चूर्ण, पञ्चतिक्तघृत-गुग्गुलु);
• शिलाजतु, स्फटिका भस्म, टंकण भस्म।
_B. मधुरिकाहर उपचार (Anti-fungal treatment):_
मधुरिका-जन्य संक्रमण होने पर आप निम्न मधुरिका-रोधक (Anti-fungal) औषधियों का युक्तिपूर्वक प्रयोग कर सकते हैं -
• गुग्गुलु, भल्लातक, चित्रक
• निम्ब निम्बादि चूर्ण, पञ्चतिक्तघृत-गुग्गुलु); अथवा
• मञ्जिष्ठा (महामञ्जिष्ठादि क्वाथ)
• सारिवा
• चिरायता, अतिविषा, गन्धक, यशद
• चिरायता (, सुदर्शन-घन वटी);
• चक्रमर्द - चूर्ण, Chakramard ghan tab; अथवा
• करञ्ज - Karanj ghan tab; अथवा
• हरिद्रा - चूर्ण, Haridra ghan tab; अथवा
• दारुहरिद्रा - Daruharidra ghan tab, रसौत; अथवा
• शुण्ठी - चूर्ण, Shunthi ghan tab।
*3. रसायन चिकित्सा (Treatment to improve general health):*
बहुत बार महिला में सामान्य दौर्बल्य (General weakness) ही श्वेतप्रदर का हेतु होता है। ऐसे में निम्न प्रकार की सामान्य शारीर रसायन (General tonic) औषधियों का युक्तिपूर्वक प्रयोग करना चाहिए -
• सामान्य रसायन औषधियाँ - शिलाजतु, आमलकी, मुक्ताशुक्ति, स्वर्णमाक्षिक, अभ्रक, यशद
• शिलाजीत - शिलाजीत एक परम रसायन है जो स्त्रियों के सामान्य स्वास्थ्य में वृद्धि करने के साथ-साथ स्त्री-प्रजननांगों को भी बल देकर श्वेतप्रदर में लाभ देती है। इसे आप शिलाजीत शुद्ध टैब्लॅट रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
• आमलकी - चूर्ण,
• कैल्सियम की आपूर्ति करने वाली रसायन औषधियाँ - मुक्ताशुक्ति, आमलकी, अभ्रक, यशद ; अथवा
• यकृत् की क्रिया (Liver functions) सुधारने वाली औषधियाँ - भूम्यामलकी काकमाची, शरपुंखा
4. शोथहर चिकित्सा (Anti-inflammatory treatment):
श्वेतप्रदर होने पर स्त्री-प्रजनन अंगों (Female genital organs) में प्रायः शोथ (Inflammation) रहती ही है । ऐसे में निम्न शोथहर (Anti-inflammatory) औषधियों का युक्तिपूर्वक प्रयोग करना लाभकारी होता है -
• शल्लकी, एरण्डमूल, जातीफल
• शल्लकी
• एरण्डमूल
• गुग्गुलु, भल्लातक, चित्रक
• रास्ना - सप्तक
• निर्गुण्डी
• दशमूल - क्वाथ ।
5. लाक्षणिक चिकित्सा (Symptomatic treatment):
श्वेतप्रदर की व्याधि-विपरीत (Symptomatic) चिकित्सा के लिए निम्न प्रकार की ग्राही औषधियों (Astringent drugs) का युक्तिपूर्वक प्रयोग किया जा सकता है -
• रसौत, जामुन-गुठली, आम्र-मज्जा; अथवा
• मुस्तक, बिल्व-मज्जा, मोचरस; अथवा
• पुष्यानुग चूर्ण।
6. मानसिक चिकित्सा (Psychotropic treatment):
मानसिक तनाव / चिन्ता, तथा मनो-अवसाद भी कभी-कभी श्वेतप्रदर पैदा कर सकते हैं । ऐसे में निम्न प्रकार की मेध्य रसायन औषधियों (Nootropic drugs) का प्रयोग करना लाभकारी होता है -
• मानसिक तनाव / चिन्ता (Mental stress / anxiety) होने पर मन को शान्त करने वाली औषधियाँ - ब्राह्मी, तगर अथवा
• मनो-अवसाद :- होने पर मन को बल देने वाली औषधियाँ - ज्योतिष्मती, अकरकरा, वचा, गण्डीर.
7. निदानार्थकर रोग चिकित्सा (Treatment of the underlying cause):
श्वेतप्रदर पैदा करने वाले अन्य किसी भी रोग की चिकित्सा करना अनिवार्य होता है।
8. स्थानिक चिकित्सा (Local treatment):
उत्तर-वस्ति, पिचु, योनिप्रक्षालन द्वारा यथावश्यक स्थानिक चिकित्सा करें ।
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