अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस
आज 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस बनाया जा रहा हैं।
वेदों में शराब आदि नशे को करने से मना किया गया हैं क्यूंकि इससे बुद्धि भ्रष्ट हो जाती हैं।
1. वेद में मनुष्य को सात मर्यादा का पालन करना निर्देश दिया गया हैं। ऋग्वेद 10/5/6 इनके विपरीत अमर्यादा में से कोई एक का भी जो सेवन करता हैं तो वह पापी हो जाता हैं। ये अमर्यादा हैं चोरी, व्यभिचार, ब्रह्म हत्या, गर्भपात , असत्य भाषण , बार बार बुरा कर्म करना और शराब पीना।
2. शराबी लोग मस्त होकर आपस में नग्न होकर झगड़ा करते और अण्ड-बण्ड बकते हैं इसलिए शराब आदि नशे का ग्रहण नहीं करना चाहिए। - ऋग्वेद 8/2/12
3. सुरा और जुए से व्यक्ति अधर्म में प्रवृत होता हैं- ऋग्वेद 7/86/6
4. मांस, शराब और जुआ ये तीनों निंदनीय और वर्जित हैं। - अथर्ववेद 6/70/1
5. शतपथ के अनुसार सोम अमृत हैं तो सुरा विष हैं, इस पर विचार करना चाहिए। शतपथ 5/1/2
वेदों में नशे का स्पष्ट निषेध जनहित को ध्यान में रखकर किया गया हैं। हमारे राजतन्त्र का यह कर्तव्य बनता है कि वेदों की कल्याणकारी शिक्षा को सामान्य जनों के लाभार्थ लागु करे।
आओ हम नशा मुक्त भारत बनाने के लिए जीवन में किसी भी प्रकार का नशा ना करने का संकल्प ले!
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