MOST EFFECTIVE DRUGS
सब से अधिक असरदार औषधियाँ
1. जीवाणुज संक्रमण (Bacterial infections):
चिरायता, अतिविषा, चोपचीनी, गन्धक, ताम्र, मल्ल, सुवर्ण।
2. विषाणुज संक्रमण (Viral infections):
कालमेघ, भल्लातक, दुग्धिका, भूमि-आमलकी।
3. बीजोत्सर्ग विकार (Ovulation disorders) / पी.सी.ओ.डी. (PCOD):
भल्लातक, दुरालभा, शतावरी, अशोक।
4. अल्परक्तता (Ischemia):
पुष्करमूल, चोपचीनी, गोक्षुर, शालपर्णी।
5. बढ़ी कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol):
गुग्गुलु, भल्लातक, चित्रक, कलौंजी।
6. सन्धिवात (Osteo-arthritis):
अश्वगन्धा, शिलाजीत, कपिकच्छू, अस्थिश्रृंखला।
7. शुक्राणु-अल्पता (Low Sperm Count):
कपिकच्छू, पुत्रञ्जीव, अश्वगन्धा, शिलाजीत।
8. मनःअवसाद (Mental depression):
ज्योतिष्मती, कपिकच्छु, दुरालभा, गण्डीर, वचा।
9. मानसिक तनाव/चिंता (Stress/Anxiety):
ब्राह्मी, मण्डूकपर्णी, शंखपुष्पी, तगर, अश्वगन्धा।
10. शोथ (Inflammation):
गुग्गुलु, शल्लकी, एरण्डमूल, रास्ना, निर्गुण्डी, बिल्व-पत्र।
11. वेदना / शूल / दर्द (Pain):
जातीफल, वत्सनाभ, पारसीक-यवानी;
12. वृक्क शूल / गुर्दे का दर्द (Renal colic)
पारसीक-यवानी, अजवाइन, कर्पूर, हिंगु।
13. मूत्राश्मरी / गुर्दे की पथरी:
पाषाणभेद, भूमि-आमलकी, सहदेवी, वरुण।
14. मधुमेह (Diabetes):
मामज्जक, मेषश्रृंगी, लता-करञ्ज, दारुहरिद्रा।
15. नपुंसकता / क्लैब्य (Erectile dysfunction):
ज्योतिष्मती, कपिकच्छू, अश्वगन्धा, शिलाजीत।
16. माइग्रेन (Migraine):
ज्योतिष्मती, भृंगराज, वचा।
17. अम्लपित्त / परिणामशूल (APD):
शटी, मधुयष्टी, भृंगराज, मुक्ताशुक्ति।
18. भ्रम / चक्कर (Vertigo / Giddiness):
दुरालभा, मण्डूकपर्णी, ज्योतिष्मती।
19. प्रवाहिका / पेचिश (Dysentery):
दारुहरिद्रा, अतिविषा, पञ्चामृत पर्पटी, कुटज।
20. नाक की एलर्जी (Nasal allergy):
शटी, मधुयष्टी, कण्टकारी, एरण्डमूल, दुग्धिका, हरिद्रा।
21. आमविषज विकार (Auto-immune disorders):
अश्वगन्धा, भल्लातक, मधुयष्टी, गुडूची, तुलसी।
22. किडनी फेलियॅर (Kidney Failure):
कासनी, भूमि-आमलकी, सहदेवी, चन्दन।
23. छर्दि / उल्टी (Vomiting):
शटी, अजवाइन, पुदीना, बड़ी इलायची, मयूरपिच्छ।
24. अतिसार / दस्त (Diarrhoea):
दारुहरिद्रा, अतिविषा, मुस्तक, कुटज।
25. कैल्सियम की कमी (Calcium deficiency):
मुक्ताशुक्ति, काकमाची, आमलकी।
युक्ति ( USAGE):
1. आप उपर्युक्त दवाओं का उपयोग एकल दवाओं (Single Drugs) के रूप में या मिश्रण (Combination) के रूप में कर सकते हैं;
2. औषधियाँ हमेशा पूर्ण चिकित्सीय मात्रा (Full Therapeutic Dose) में ही उपयोग करें;
3. यदि पूर्ण चिकित्सीय मात्रा (Full Therapeutic Dose) बहुत बड़ी हो (विशेषकर चूर्ण के रूप में), तो उसे इक्स्ट्रैक्ट/घन के रूप में उपयोग करें;
4. रोगी को नियमित समय अंतराल (Regular time intervals) पर दवाएँ लेने की सलाह दें - 8 घंटे, 6 घंटे, 4 घंटे, 3 घंटे, 2 घंटे पर; दिन में दो या तीन या चार बार नहीं;
5. यदि इन औषधियों को लम्बे समय तक उपयोग करना हो तो ओक सात्म्य (Enzyme induction) के कारण होने वाले शीघ्र पाचन (Fast degradation) से बचाव के लिए इन्हें हर 3 माह के बाद इन्हें 1-2 सप्ताह के लिए बन्द कर दें, तथा इनके स्थान पर कोई अन्य वैकल्पिक औषधियाँ (Alternative drugs) दें;
6. रोगों की पुनरावृत्ति (Recurrence) से बचने के लिए, वांछित परिणाम मिलने के बाद भी कुछ समय तक दवाओं का उपयोग जारी रखें;
7. औषधियों की मात्रा को बहुत धीरे-धीरे कम करें, अन्यथा पुनरावृत्ति हो सकती है;
8. जीर्ण एवं असाध्य रोगों में औषधियों का प्रयोग न्यूनतम मात्रा में लगातार करते रहें;
9. उच्च गुणवत्ता वाली जी.एम.पी. (GMP) के आधार पर निर्मित दवाओं का ही उपयोग करें; व
10. दवायें संख्या में कम किन्तु पूरी मात्रा में दें; अपूर्ण मात्रा से युक्त, बहुत अधिक घटकों वाले औषध-योगों से बचें।
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