TOP 7 DRUGS TO REDUCE FEVER
बुखार उतारने की 7 प्रमुख दवाये
ज्वर (Fever) होने पर जब शरीर का तापमान (Temperature) 40⁰ C से अधिक हो जाए व रोगी को कई प्रकार के कष्ट होने लगें, तो ऐसे में बुखार कम करने वाली (ज्वरहर / Antipyretic) औषधियों की जरूरत महसूस होती है।
बुखार उतारने के लिए इन्टैग्रेटिड डॉक्टर्स अक्सर पैरासिटामोल का उपयोग करते हैं। साथ ही, वे शिकायत करते हैं, "हम आयुर्वेद में कैसे प्रैक्टिस करें, जबकि आयुर्वेद में बुखार कम करने के लिए भी कोई प्रभावशाली दवा नहीं है?"
इस शिकायत को दूर करने के लिए, हम यहाँ सात औषधियों पर चर्चा कर रहे हैं, जो युक्तिपूर्वक उपयोग किए जीने पर, बुखार को प्रभावी रूप से कम करती हैं। ये औषधियाँ हैं - हरमल, गोजिह्वा, सहदेवी, पारिजात, सप्तपर्ण, निर्गुण्डी, और वत्सनाभ।
हो सकता है कि इन औषधियों को बुखार कम करने में पैरासिटामोल से थोड़ा अधिक समय लगे। लेकिन, ये औषधियाँ पैरासिटामोल की तरह किडनी को डैमेज नहीं करतीं।
हमारा तर्क है - केवल बुखार को जल्दी से कम करने के लिए किडनी फेलियॅर जैसी खतरनाक बीमारी को क्यों बुलावा दें? बेहतर है कि बुखार को धीरे-धीरे कम करें, लेकिन रोगी के किडनी बचाएँ।
आप इन औषधियों का उपयोग सिंगल ड्रग्स (चूर्ण / घन टैब्लॅट) के रूप में कर सकते हैं, या औषध-योगों के रूप में कर सकते हैं।
आइए विस्तार से जानते हैं...
1. हरमल (Harmal):
बुखार कम करने में हरमल काफी असरदार दवा (Effective Drug) है। यह 1-2 घण्टे में शरीर का बढ़ा तापमान सामान्य या लगभग सामान्य कर देती है। इस प्रकार से यह काफी उपयोगी दवा है। किन्तु, फिर भी अधिकाँश आयुर्वेद चिकित्सक इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं, क्योंकि ज्यादातर डॉक्टर्स को इस औषध का पता ही नहीं है, और जिन्हें पता भी है वे शायद इसकी उपलब्धता न होने से इसे इस्तेमाल नहीं कर पाते।
हरमल को आप हरमल बीज चूर्ण 2-3 ग्राम की मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं। अथवा, आप
हरमल घन टैब्लॅट (Harmal Ghan tab), को 1-2 टैब्लॅट्स की मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं।
2. गोजिह्वा (Gojihva):
गोजिह्वा आयुर्वेद की एक और विश्वसनीय ज्वरहर (Anti-pyretic) दवा है। पुराने वैद्य इसे अर्क गावजबान (Ark Gavjaban / Gaojuban) के रूप में खूब प्रयोग किया करते थे। लेकिन, धीरे-धीरे अर्कों का बनना बन्द हो गया, जिससे गोजिह्वा का उपयोग कम होता चला गया।
गोजिह्वा को आप निम्न रूप में प्रयोग कर सकते हैं -
1.गोजिह्वा चूर्ण, 3-6 ग्राम, हर 4-6 घण्टे पर, अथवा आवश्यकता पड़ने पर।
2.गोजिह्वा घन टैब्लॅट (Gojihva Ghan Tab) 1-2 टैब्लॅट्स, हर 4-6 घण्टे पर, अथवा आवश्यकता पड़ने पर।
3.अर्क गावजबान (Ark Gavjaban), 10 ml, हर 4-6 घण्टे पर, अथवा आवश्यकता पड़ने पर।
3. सहदेवी (Sahdevi):
सहदेवी, बुखार उतारने वाली एक और प्रभावशाली दवा है। लेकिन, यह दवा अत्यधिक लोकप्रियता हासिल नहीं कर सकी। इसके दो कारण हैं - एक, गुर्दे व मूत्ररोगों में काफी अधिक प्रभावशाली होने से यह वहीं तक सीमित रह गयी; तथा दो, मार्किट में इससे बनी कोई भी विश्वसनीय दवा में उपलब्ध नहीं थी।
सहदेवी को आप चूर्ण, क्वाथ, या सहदेवी घन टैब्लॅट, 1-2 टैब्लॅट्स, हर 4-6 घण्टे पर, अथवा आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग कर सकते हैं।
4. पारिजात (Parijata):
गृध्रसी (Sciatica / रीह) के ईलाज में प्रथम स्थान बनाने वाले पारिजात के पत्तों में बुखार उतारने की क्रिया भी मौजूद है। लेकिन, सहदेवी की तरह यह भी बुखार कम करने के विषय में ख्याति प्राप्त न कर सका।
पारिजात को आप पारिजात-पत्र स्वरस, क्वाथ, या पारिजात घन टैब्लॅट,1-2 टैब्लॅट्स, हर 4-6 घण्टे पर, अथवा आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग कर सकते हैं।
5. सप्तपर्ण (Sapta-parna):
आयुर्वेद की नं.1 मलेरिया-रोधी (Anti-malarial) दवा के रूप में प्रसिद्ध सप्त-पर्ण में, बुखार उतारने की क्रिया (Antipyretic activity) भी रहती है।
गुड न्यूज यह है कि सप्तपर्ण, बुखार भी कम करता है। इसके लिए आप सप्तपर्ण के पत्र का चूर्ण या क्वाथ, या सप्तपर्ण घन टैब्लॅट, 1-2 टैब्लॅट्स, हर 4-6 घण्टे पर, अथवा आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग कर सकते हैं।
6. निर्गुण्डी (Nirgundi):
पत्र-पिण्ड-स्वेद के रूप में, बाह्य उपयोग के लिए प्रसिद्ध निर्गुण्डी का आन्तरिक प्रयोग भी होता है, यह बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन, अच्छी खबर यह है कि आभ्यन्तर उपयोग किये जाने पर। निर्गुण्डी एक प्रभावशाली शोथहर (Anti-inflammatory) व वेदनाहर (Analgesic) दवा के रूप में कार्य करती है। इसके अतिरिक्त, निर्गुण्डी में बुखार उतारने का भी गुण-कर्म मौजूद रहता है।
इसके लिए आप निर्गुण्डी घन टैब्लॅटस्, 1-2 टैब्लॅट्स, हर 4-6 घण्टे पर, अथवा आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग कर सकते हैं।
7. वत्सनाभ (Vatsanabh):
निश्चित रूप से, वत्सनाभ आयुर्वेद में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली ज्वरनाशक (Anti-pyretic) दवा है। यह ज्यादातर मल्टी-ड्रग फॉर्मूलेशन्ज (Multi-Drug Formulations) के एक घटक के रूप में ही उपयोग किया जाता है, जैसे - त्रिभुवनकीर्ति रस, मृत्युंजय रस, हिंगुलेश्वर रस, संजीवनी वटी आदि।
उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य होता है कि विष होने के कारण इसकी 24 घण्टों में दी गयी मात्रा अधिक न होने पाये। अन्यथा, विषाक्तता होकर रक्तचाप में कमी, हृदय का अवसाद, मूर्च्छा (Shock) आदि हो सकते हैं, जिनका तत्काल व समुचित ईलाज अनिवार्य होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
बुखार उतारने के लिए आप निम्न औषधियाँ, युक्तिपूर्वक ढंग से प्रयोग कर सकते हैं -
• हरमल (Harmal) चूर्ण, या घन टैब्लॅट;
• गोजिह्वा (Gojihva) चूर्ण, क्वाथ, घन टैब्लॅट, अर्क;
• सहदेवी (Sahdevi) चूर्ण, क्वाथ, घन टैब्लॅट;
• पारिजात (Parijata) पत्र-स्वरस, चूर्ण, क्वाथ, घन टैब्लॅट;
• सप्तपर्ण (Sapta-parna) चूर्ण, क्वाथ, घन टैब्लॅट;
• निर्गुण्डी (Nirgundi) चूर्ण, क्वाथ, घन टैब्लॅट;
• वत्सनाभ (Vatsanabh) शुुद्ध, त्रिभुवनकीर्ति रस, मृत्युञ्जय रस, डोलिड (Dolid) टैब्लॅट ।
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