GANDHAK - A GREAT DRUG
गन्धक - एक महौषध
रस-तरंगिणी, आयुर्वेद सार संग्रह, रसतन्त्रसार एवं सिद्ध प्रयोग संग्रह, व भैषज्य रत्नावली आदि ग्रन्थों में वर्णित गन्धक के कर्म व लाभ, स्पष्ट बताते थे कि गन्धक स्वास्थ्य को बढ़ाने वाली, व रोगों को नष्ट करने वाली एक असरदार औषध थी।
तो भी, हम ने देखा कि गन्धक का उपयोग, मुख्य तौर पर त्वचा रोगों (Skin Diseases) में ही किया जाता था।
अपनी क्लिनिकल प्रैक्टिस में, हम लोगों ने भी गन्धक की शुरुआत, विभिन्न प्रकार के त्वचा रोगों के इलाज से ही की, व इसे काफी अधिक उपयोगी पाया। हमने कि गन्धक विचर्चिका (Eczema), त्वक्शोथ (Dermatitis), व त्वचागत जीवाणु-जन्य संक्रमणों (Bacterial Infections) में काफी अधिक असरदार रहती थी।
आगे चल कर हमने पाया कि लगातार कई महीनों तक गन्धक का सेवन कराने पर, त्वचा स्वस्थ, चमकदार, लचीली, व स्निग्ध होने लगती है, व त्वचा में मौजूद दाग-धब्बे (Black spots / Melasma / Freckles) भी मिटने लगते हैं।
इसके साथ-साथ, स्थानिक उपयोग करने पर, गन्धक त्वचागत फंगल इन्फैक्शन (Fungal infection) में भी काफी उपयोगी देखी जाती है।
इससे प्रेरित होकर, हम लोगों ने गन्धक का उपयोग शरीर के विभिन्न अंगावयवों में होने वाले अन्य रोगों में भी करना आरम्भ किया।
त्वचागत जीवाणु-जन्य व फंगल संक्रमणों (Bacterial & Fungal infections) को दूर करने की, गन्धक की क्रिया से प्रेरित हो कर, हम लोगों ने इसे श्वसन तन्त्र (Respiratory System), पाचन तन्त्र (Digestive System), मूत्रमार्ग (Urinary System), ऊर्ध्वांग (Eye, ENT, Oral Cavity) आदि में होने वाले विभिन्न प्रकार के बैक्टीरियल (Bacterial) व फंगल संक्रमणों (Fungal infection) के इलाज में भी प्रयोग करना शुरू किया।
हमें आश्चर्य हुआ कि गन्धक इन अंगावयवों में होने वाले बैक्टीरियल व फंगल संक्रमणों (Bacterial & Fungal infections) में भी काफी उपयोगी सिद्ध होने लगी।
समय के साथ, हमने सोचा कि त्वचा रोगों के अलावा, गन्धक को बालों के रोगों (Hair Disorders) में भी उपयोग किया जाए। ऐसा करने पर हमने देखा कि गन्धक खालित्य, केश-पतन, व केश-क्षय (Hair-fall & Hair loss) में काफी लाभदायक होती है। यहाँ तक कि हमने गन्धक को, अकाल पालित्य के कुछ रोगियों में भी कारगर पाया। विशेषकर 18 वर्ष से कम आयु वाले पालित्य के कुछ रोगियों में।
कुछ वर्षों बाद, गन्धक लेने वाले कई रोगियों ने हमें बताया कि इससे उनका मल ढीला (Semisolid) हो रहा है। इससे प्रेरित होकर, हमने इसे कब्ज (Constipation) के इलाज में इस्तेमाल करना शुरू किया। हम रात को 1-2 ग्राम शुद्ध गन्धक देने की सलाह देते थे। अधिकाँश रोगी हमें बताते थे कि इससे मल त्याग में आसानी होती थी। हमने पाया कि यह कब्ज के साथ-साथ, अर्श-रोग/बवासीर (Piles) व गुद-विदार (Anal fissure) जैसी गुदा व आन्त्र रोगों (Anorectal diseases) में विशेष रूप से उपयोगी है।
समय के साथ, हमें लगने लगा कि गन्धक अपना स्रंसन (Stool-softner) कर्म सम्भवतः, याकृत पित्त (Bile) के उत्पादन को बढ़ाकर करता था। इसका अर्थ यह था कि गन्धक, यकृत् की क्रिया (Liver Functions) को भी सुधार रहा था।
इससे प्रेरित होकर, हमने गन्धक का उपयोग विभिन्न प्रकार के यकृत् रोगों (Liver Disorders), जैसे - कामला (पीलिया) व फैटी लिवर (Fatty Liver) आदि में भी करना शुरू कर दिया। प्रसन्नता की बात यह रही कि इन रोगों से पीड़ित अधिकाँश रोगियों में भी गन्धक से लाभ मिला।
एक चीज हमने और देखी। 3 महीने या उससे अधिक समय तक गन्धक का उपयोग करने वाले स्थूल व्यक्तियों में, वजन धीरे-धीरे कम होने लगता था।
यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी थी। इसका अर्थ था कि गन्धक का वसा के धात्वग्नि-पाक (Fat Metabolism) से कुछ सम्बन्ध था।
इस आधार पर, हमने गन्धक का मोटापा/स्थौल्य (Overweight) में उपयोग करना शुरू किया। अधिकाँश रोगियों ने हमें बताया कि नियमित रूप से, 1-2 ग्राम शुद्ध गन्धक लेने पर वजन कम होता है।
इससे उत्साहित होकर, हमने इसे उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स (High Cholesterol & Triglycerides) वाले रोगियों में उपयोग करने का निर्णय लिया। यह देख हमें बहुत अच्छा लगा कि मेदो-दुष्टि (Dyslipidemia) से पीड़ित कई रोगियों के रक्त में बढ़ी हुई कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड्स लिपिड्स में कमी आती थी।
बाद में, हमने देखा -
• गन्धक स्त्रियों में होने वाले श्वेतप्रदर (Leucorrhoea) तथा योनि-शोथ (PID) में विशेष उपयोगी रहता है।
• गन्धक नेत्र, कान, नाक, मुख और दन्त में होने वाले संक्रमणों (Eye, ENT, Oro-dental Infections) में उपयोगी रहता है।
• मस्तिष्क और नाड़ियों के रोगों में भी गन्धक उपयोगी होता है।
• गन्धक अर्बुद (Tumors) व ग्रन्थि (Cyst) में सहायक औषध के रूप में उपयोगी होती है।
• गन्धक से ओजस् / रोग-प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) बलवान होती है, अतः यह ओजःक्षय / कमजोर इम्यूनिटी (Immune Deficiency) में भी उपयोगी है।
हमने गन्धक का 40 से अधिक वर्षों तक विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग किया। इसके आधार पर हम पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं - गन्धक एक महौषध है।
हम लोग गन्धक का उपयोग निम्न प्रकार से करते हैं -
• गन्धक शुद्ध - ½-1 ग्राम, दिन में दो-तीन बार;
• गन्धक शुद्ध (टैब्लॅट) - 1-2 टैब्लॅट्स, दिन में दो-तीन बार;
• गन्धक रसायन (टैब्लॅट) - 1-2 टैब्लॅट्स, दिन में दो-तीन बार;
• ज्योतिष्मति रसायन (ड्रॉप्स), जिसमें गन्धक के साथ-साथ ज्योतिष्मती तैल भी होता है;
• इन्फैक्सी (Infexie) टैब्लॅट, जिसमें गन्धक के साथ-साथ चिरायता, अतिविषा, व यशद भी रहते हैं;
• हेअरटोन्ज़ (Hairtonz) टैब्लॅट, जिसमें गन्धक के साथ-साथ भृँगराज भी रहता है।
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