An Effective Formulation to Boost Immunity( र ोग-प्रतिकारक शक्ति बढ़ाने वाला प्रभावशाली औषध-)

An Effective Formulation to Boost Immunity
रोग-प्रतिकारक शक्ति बढ़ाने वाला प्रभावशाली औषध-

रोग-प्रतिरोधक-क्षमता (Immunity) बलवान व क्रियाशील करने के लिए हम लोगों ने निम्न पाँच औषधियाँ काफी अधिक प्रभावशाली पायी हैं - 

अश्वगन्धा (Ashwagandha) - Withania somnifera
• गुडूची (Guduchi) - Tinospora cordifolia 
• तुलसी (Tulasi) - Ocimum sanctum
• पिप्पली (Pippali) - Piper longum
• यशद (Yashad) - Zinc 

Pharmacological Actions (भेषजीय कर्म):
अश्वगन्धा, गुडूची, तुलसी, पिप्पली, व यशद में निम्न मुख्य कर्म देखे गये हैं - 

1. Immune-boosting (ओजःवर्धक):_ 

रोग-प्रतिरोधक-क्षमता (Immunity) के लिये उत्तरदायी, रक्त में मौजूद लिम्फोसाईट्स (T & B) की क्रियाशीलता को बढ़ा कर, ये औषधियाँ व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधकशक्ति को मज़बूती प्रदान करती हैं। 

_2. Immuno-modulator (आमविषहर):_

 यदि किसी कारण से टी व बी लिम्फोसाईट्स (T&B Lymphocytes) की अपने धातुओं से पहचान धुंधली पड़ जाये तथा वे अपने ही धातुओं पर आक्रमण करके, उनमें अनेकों प्रकार की विकृतियाँ पैदा करने लगें (Autoimmune disorder), तो ऐसे में अश्वगन्धा, गुडूची, तुलसी, पिप्पली, व यशद से स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगती है। 

_3. Anti-viral (विषाणुहर):_

 देह की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ, अश्वगन्धा, गुडूची, तुलसी, पिप्पली, व यशद में विषाणुहर (Antiviral) क्रिया भी पायी गयी है। एक ओर जहाँ ये औषधियाँ विषाणुओं की संख्या-वृद्धि (Replication) को रोकती हैं, वहीं दूसरी ओर ये रोग-प्रतिरोधक-क्षमता (Immunity) को बलवान बना कर विषाणुओं को नष्ट करने में सहायक भी सिद्ध होती हैं। 

_4. Other Actions (अन्य कर्म):_

उपरोक्त के अतिरिक्त, अश्वगन्धा, गुडूची, तुलसी, पिप्पली, व यशद में अनेकों अन्य महत्वपूर्ण कर्म भी पाये जाते हैं - Antibacterial (जीवाणुहर), 
Anticancer (विषार्बुदहर), 
Anti-inflammatory (शोथहर), व
 Antistress (रसायन)।

5.Therapeutic uses (चिकित्सकीय प्रयोग):

उपरोक्त भेषजीय कर्मों के आधार पर अश्वगन्धा, गुडूची, तुलसी, पिप्पली, व यशद का उपयोग निम्न रोगों के उपचार के लिए किया जा सकता है -  

1. Immune deficiency (ओजःक्षयः)
2. Auto-immune  disorders (आमविषज रोग)
3. Allergic disorders (असात्म्यज रोग)
4. Viral infections (विषाणुज संक्रमण)
5. Bacterial infections (जीवाणुज संक्रमण)
6. Cancer (विषार्बुद) - supportive 
7. Inflammatory diseases (शोथ-प्रधान रोग)
8. Stress disorders (मनोद्वेगज रोग)

मात्रा (Doses)

• Adults - 1-2 टैबलॅट्स, दिन में तीन से छः बार, रोग की गम्भीरता व रोगी के भार के अनुसार,  नियमित रूप से, सादे जल के साथ।
• Children (6-9 yrs) - वयस्कों से एक चौथाई से आधी मात्रा ।

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