DRUG MANAGEMENT OF PILES अर्श-रोग की औषध चिकित्सा:-

DRUG MANAGEMENT OF PILES
अर्श-रोग की औषध चिकित्सा:-
अर्श-रोग से पीड़ित अधिकांश रोगियों को केवल औषध चिकित्सा की आवश्यकता होती है, जो आयुर्वेद चिकित्सक बहुत अच्छी प्रकार से कर सकते हैं। हाँ, इसके लिए अर्श-रोग में होने वाली मूलभूत विकृतियों (Underlying abnormalities) को जानना व उचित औषधियों से उनके उपचार का पता होना अनिवार्य है।  इस लेख में इसी पर चर्चा करने जा रहे हैं। आईए देखते हैं - 

अर्श-रोग में मुख्यतः 4 प्रकार की विकृतियाँ होती हैं
 (4 Types of abnormalities in Piles):-

अधिकांश अर्श-रोगियों में, निम्न में से एक या अधिक विकृतियाँ मौजूद होती हैं -
1. अर्शांकुरों (Pile mass) में आवश्यकता से अधिक रक्त की आपूर्ति होना (Excessive blood supply to pile mass);
2. अर्शांकुरों (Pile mass) से निकलने वाले रक्त-प्रवाह में किसी प्रकार का अवरोध (Venous obstruction) अथवा संग (Stasis) होना;
3. अर्शांकुर (Pile mass) बनाने वाली केशिकाओं की दीवालों का कमजोर या क्षतिग्रस्त होना (Weak / Damaged walls of Capillaries / Sinusoids); तथा
4. अर्शांकुर (Pile mass) बनाने वाला केशिकाओं के बाहर स्थित सहायक धातुओं का क्षीण अथवा क्षतिग्रस्त होना (Degeneration / Damage in the Supportive connective tissue)।

अर्श-रोग का औषध उपचार
(Drug Management of Piles):-
अर्श-रोग (Piles) के औषध उपचार के लिए, आप निम्न प्रकार से मूलभूत विकृतियों (Underlying abnormalities) का नाश करने का यथासम्भव प्रयास कर सकते हैं -

1. अर्शांकुरों को रक्त की आपूर्ति कम करें (Reduce blood supply to the hemorrhoidal plexuses):
यदि अर्शांकुरों को आवश्यकता से अधिक रक्त की आपूर्ति (More than required blood supply) हो रही है  तो रक्त की आपूर्ति कम करें (Reduce the blood supply)। इसके लिए निम्न औषधियों में से किसी एक अथवा अधिक का युक्तिपूर्वक उपयोग कर सकते हैं - 
दुग्धिका (Dugdhika)
दारुहरिद्रा (Daruharidra) - दारुहरिद्रा घन टैब्लॅट
अतिविषा (Ativisha) - अतिविषा घन टैब्लॅट, Pilie tab;
द्रोणपुष्पी (Dronpushpi) - द्रोणपुष्पी घन टैब्लॅट;
अस्थि-श्रृंखला (Asthi-shrinkhala) - अस्थि-श्रृंखला घन टैब्लॅट;
निम्बोली (Nimboli) - निम्बोली घन टैब्लॅट;
बोल-पर्पटी (Bol-parpati);
दूर्वा (Durva) - दूर्वा घन टैब्लॅट।

2. अर्शांकुरों से सिरागत रक्त का निष्कासन बढ़ायें (Improve venous drainage from the hemorrhoidal plexuses):
अर्शांकुरों से निकलने वाली सिराओं (Rectal / Portal Vein) में किसी भी प्रकार का अवरोध या संग दूर करें  (Remove the obstruction), तथा अथवा रक्त-प्रवाह की गति बढ़ाएँ (Improve venous drainage)।इसके लिए निम्न औषधियों में से किसी एक अथवा अधिक का युक्तिपूर्वक उपयोग कर सकते हैं -
• भूमि-आमलकी (Bhumi-amalaki) - Phylocil tab, Livie tab;
• काकमाची (Kakamachi) - काकमाची घन टैब्लॅट्, Livie tab;
• शरपुंखा (Sharpunkha) - शरपुंखा घन टैब्लॅट;
• कटुकी (Katuki) - कटुकी टैब्लॅट, आरोग्यवर्धिनी;
• कासनी (Kasani) - कासनी घन टैब्लॅट;
• पुनर्नवा (Punarnava) - पुनर्नवा घन टैब्लॅट, पुनर्नवाष्टक क्वाथ;
• गंधक (Gandhak) - गन्धक शुद्ध टैब्लॅट, गन्धक रसायन;
• ताम्र (Tamra) - अर्शकुठार रस।

3. अर्शांकुर बनाने वाली केशिकाओं की दीवारों को मजबूत करें (Strengthen the walls of the capillaries / sinusoids of the hemorrhoidal plexuses):-
अर्शांकुरों को बनाने वाली केशिकाओं (Capillaries / Sinusoids) की दीवारें यदि कमजोर हैं, तो उन्हें मजबूत करें।  इसके लिए निम्न औषधियों में से किसी एक अथवा अधिक का युक्तिपूर्वक उपयोग कर सकते हैं -
• दुग्धिका (Dugdhika) - दुग्धिका घन टैब्लॅट, Pilie tab;
• दारुहरिद्रा (Daruharidra) - दारुहरिद्रा घन टैब्लॅट, Pilie tab;
• अतिविषा (Ativisha) - अतिविषा घन टैब्लॅट, Pilie tab;
• महानिम्ब (Naha-nimba) - घन टैब्लॅट;
• स्फटिका (Sphatika) - भस्म;
कहरवा-पिष्टी (Kehrva-pishti);
• वासा (Vasa) - वासा घन टैब्लॅट;
• काँचनार (Kanchnar) - काञ्चनार घन टैब्लॅट;
• यशद (Yashad) - भस्म, Minovit tab;
• अभ्रक (Abhrak) - भस्म, Minovit tab;
• मुक्ता-शुक्ति (Mukta-shukti) - भस्म, Minovit tab 

4. अर्शांकुरों (Hemorrhoidal plexuses) को बनाने वाली केशिकाओं (Capillaries / Sinusoids) के आधारभूत संयोजक धातु (Supportive, connective tissue) को सुदृढ़ व स्वस्थ बनायें:-
अर्शांकुरों को बनाने वाली केशिकाओं का आधार, संयोजक धातु यदि क्षीण (Degenerated) अथवा विकृत (Abnormal) अथवा क्षतिग्रस्त (Damaged) है, तो उसे मजबूत करें। इसके लिए निम्न औषधियों में से किसी एक अथवा अधिक का युक्तिपूर्वक उपयोग कर सकते हैं -
पञ्चामृत-पर्पटी (Panchamrit-parpati);
• अतिविषा (Ativisha) - अतिविषा घन टैब्लॅट, Pilie tab, Entrid tab;
• कुटज (Kutaj) - कुटज घन टैब्लॅट;
• अश्वगन्धा (Ashwagandha) - अश्वगन्धा घन टैब्लॅट;
• कपिकच्छु (Kapikachhu) - कपिकच्छू घन टैब्लॅट;
• शतावरी (Shatavari) - शतावरी घन टैब्लॅट।

उपरोक्त दवाओं का उपयोग कैसे करें ?( How to use above-said medicines)
अपने उपचार को सर्वव्यापी (Composite) बनाने के लिए आपको उपरोक्त चार समूहों में से, कम से कम एक औषध का चयन अवश्य करना चाहिए। यहां हम आपके साथ वह चिकित्सा-विधि (Treatment Protocol) को साझा करते हैं जिसका हमने सफलतापूर्वक उपयोग किया है-

हम लोग प्रायः प्रत्येक अर्श-रोगी को निम्न दो औषध-योगों से चिकित्सा आरम्भ करते हैं, कम से कम 100 दिन तक, इसी मात्रा में जारी रखते हैं -
• दुग्धिका + दारुहरिद्रा + अतिविषा (Pilie tab - 2 tabs tid);
• पंचामृत-पर्पटी + अतिविषा + शंख + पिप्पली (Entrid tab - 2 tabs tid)

अधिकांश रोगियों में उपरोक्त औषध-योग काफी लाभप्रद सिद्ध होते हैं। हालाँकि, विशेष परिस्थितियों में, हम निम्न रीति से चिकित्सा भी करते हैं -
• अत्यधिक रक्तस्राव (Excessive bleeding) होने पर, हम दूर्वा (घन टैब्लॅट), या बोल-पर्पटी, या कहरवा पिष्टी, या वासा (घन टैब्लॅट), या काञ्चनार (घन टैब्लॅट) भी उपरोक्त औषधियों के साथ जोड़ देते हैं।
• विबन्ध (Constipation) होने पर हम हरीतकी (घन टैब्लॅट), या निशोथ (घन टैब्लॅट), या ईसबगोल चूर्ण भी दे देते हैं।
• सामान्य दुर्बलता (General weakness) और धातुक्षय (Tissue degeneration) होने पर, हम अश्वगन्धा (घन टैब्लॅट), कपिकच्छु (घन टैब्लॅट), शतावरी (घन टैब्लॅट), आदि भी जोड़ देते हैं।
अर्शांकुरों में संक्रमण (Infected piles) होने पर, हम चिरायता + अतिविषा + गंधक (Infexie tab) का उपयोग करते हैं।
• अर्शांकुरों में शोथ (Inflamed piles) होने पर, हम शल्लकी (घन टैब्लॅट / Loswel tab), गुग्गुलु, रास्ना आदि का उपयोग करते हैं।
• स्थानीय उपयोग के लिए आमतौर पर हम आवश्यकतानुसार कासीसादि तैल अथवा जात्यादि तैल का उपयोग करते हैं।

DM US - @ayur.medicus
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