किडनी फेलियॅर में उपयोगी औषधियाँ:– DRUG USED IN KIDNEY FAILURE

        DRUGS USED IN KIDNEY FAILURE
         किडनी फेलियॅर में उपयोगी औषधियाँ

किडनी फेलियॅर (Kidney failure / वृक्क-अक्षमता) अनेकानेक कारणों से हो सकता है। इनमें से कुछ कारण ऍक्यूट (Acute / तीव्र) किडनी फेलियर पैदा करते हैं तो कुछ क्राॅनिक (Chronic / जीर्ण) किडनी फेलियर। इनमें से कुछ किडनी फेलियॅर साध्य (Curable) होते हैं तथा कुछ असाध्य (Incurable)।

साध्य (Curable) किडनी फेलियॅर में नैफ्राॅन्स (Nephrons / वृक्काणुओं) में होने वाली क्षति को वृक्क-बल्य औषधियों (Reno-protective drugs) के द्वारा, कुछ सीमा तक ठीक किया जा सकता है, जबकि असाध्य (Incurable) किडनी फेलियॅर में ऐसा कर पाना असम्भव होता है।


>>वृक्क-बल्य औषधियाँ (Reno-protective drugs)

युक्तिपूर्वक विधि से प्रयोग किए जाने पर निम्न वृक्क-बल्य औषधियाँ, साध्य (Curable) किडनी फेलियॅर में उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं - 
भूमि-आमलकी (Bhumi-amalaki);
• कासनी (Kasani);
• सहदेवी (Sahdevi);
• काकमाची (Kakamachi);
• पुनर्नवा (Punarnava);
• भृंगराज (Bhringaraj);
• गोक्षुर (Gokshura);
• गुडूची (Guduchi);
• कालमेघ (Kalmegh);
• बिल्व-पत्र (Bilva-patra);
• चोपचीनी (Chopchini)

>>वृक्क-बल्य औषधियों की वृक्कों पर क्रिया (Action on Kidneys):
उपरोक्त वृक्क-बल्य औषधियाँ (Reno-protective drugs) -
• वृक्कों के सामान्य कार्यों (General functions) में सुधार करती हैं;
• वृक्कों पर ऑक्सीडेटिव तनाव (Oxidative stress) कम करती हैं;
• वृक्क-गत कोशिकाओं में वृद्धि व विकास करती हैं (Enhance kidney cell proliferation);
• मूत्र का उत्पादन बढ़ाती हैं (Increase production of urine);
• क्रिएटिनिन क्लीयरेंस में सुधार करती हैं (Improve creatinine clearance);
• ब्लड यूरिया कम करती हैं (Lower blood urea);
• सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स को बनाए रखने में मदद करता है (Help maintain serum electrolytes);
• मूत्र में प्रोटीन के स्तर को बनाए रखती हैं (Maintain urine protein level);
• मूत्राश्मरी को घोलती / तोड़ती हैं (Dissolve / expel urinary stones);
• जीवाणु-जन्य संक्रमण समाप्त करती हैं (Eradicate bacterial infection);
• शोथ (Inflammation), धातुनाश (Cell death), फाइब्रोसिस (Fibrosis) को रोकती हैं;
• ओजःसाम्यक् हैं (Modulate immunity);
• बढ़ी हुई रक्त शर्करा को कम करता है (Lower raised blood sugar);
• बढ़े हुए रक्तचाप को कम करती हैं (Lower raised blood pressure);
• बढ़े हुए सीरम यूरिक एसिड को कम करती हैं (Lower raised serum uric acid);
• यकृत् के कार्यों में सुधार करती हैं (Improve liver functions)।

>>उपयोग:
ऊपर बताए गए गुण-कर्मों के आधार पर, वृक्क-बल्य औषधियों का साध्य किडनी फेलियॅर में युक्तिपूर्वक उपयोग किया जा सकता है। तो भी, निम्न भावों पर विशेष ध्यान देना अनिवार्य है -
1. अमुक रोगी  को कौन सी औषधियाँ प्रयोग करनी हैं, 24 घंटे में औषधियों की कुल मात्रा कितनी होनी चाहिए, व औषधियाँ कितनी बार देनी हैं, इसका निर्णय रोगी के वजन (Body weight), किडनी फेलियॅर की गंभीरता (Severity of kidney failure), और यूरीमिक लक्षणों (Uremic symptoms) की उपस्थिति है या नहीं, इसके आधार पर किया जाना चाहिए।
2. कृपया याद रखें कि वृक्क-बल्य औषधियाँ किडनी फेलियॅर के उपचार में उपयोग में लाये जाने वाले अन्य उपायों (जैसे डायलिसिस) का विकल्प (Substitute) नहीं है। बल्कि उनके का पूरक हैं (Complimentary)। अतः उन उपायों को आवश्यकतानुसार जारी रखें।
3. सुधार होने पर सम्बद्ध चिकित्सक अन्य चिकित्सीय उपायों (डायलिसिस सहित) को कम करने का निर्णय ले सकता है।

>>मात्रा (Dosage)
वृक्क-बल्य औषधियाँ का प्रयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है -
1. प्रयोग की जाने वाली एकल औषधी / मिश्रित औषधियों का चूर्ण: 3-6 ग्राम, दिन में 3-6 बार;
3. प्रयोग की जाने वाली एकल औषधी /  मिश्रित औषधियों का क्वाथ: 5-10 ग्राम, दिन में 3-4 बार।
3. प्रयोग की जाने वाली एकल औषधियों की घन (Extract) टैब्लॅट्स - 1-2 टैब्लॅट्स, दिन में 3-6 बार - 
• भूमि-आमलकी (Phylocil tab) घन टैब्लॅट;
• कासनी (Kasani) घन टैब्लॅट;
• सहदेवी (Sahdevi) घन टैब्लॅट;
• काकमाची (Kakamachi) घन टैब्लॅट;
• पुनर्नवा (Punarnava) घन टैब्लॅट;
• भृंगराज (Bhringaraj) घन टैब्लॅट;
• गोक्षुर (Gokshura) घन टैब्लॅट;
• गुडूची (Guduchi) घन टैब्लॅट;
• कालमेघ (Kalmegh) घन टैब्लॅट;
• बिल्व-पत्र (Bilva-patra) घन टैब्लॅट;
• चोपचीनी (Chopchini) घन टैब्लॅट।
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