कपूर है साथ ,तो कोरोना रहेगा दूर ....जानें कैसे ।।

                        कपूर  (karpura)   
                            camphor


●Botanical Name - Cinnamomum     
                                             camphora
●Family - Lauraceae

●पर्याय - कर्पूर, हिमांह, चन्द्र, घनसार।

●क्षेत्रीय नाम - हिन्दी, म., गु. - कपूर ।

●English - Camphor

●स्वरूप
*इसका लम्बा मोटा वृक्ष होता है। 
*त्वचा -त्वचा ऊपर से खुरदरी और भीतर चिकनी होती है।
*पत्र-  पत्र एकान्तर तथा 2 से 4 इंच लम्बे होते हैं।   तेजपत्र के सदृश्य होते हैं। 
*पुष्प -पुष्प पीताभ छोटे मन्जरियों में होते हैं।
*फल- फल मटर के समान गुच्छो में होते हैं।
*बीज- बीज छोटे कर्पूरगन्धि होते हैं।  अक्टूबर मास में पकने पर काले पड जाते हैं।


●जाति
देश भेद से - उत्पत्ति भेद से तीन प्रकार होते हैं।

1. भारतीय कपूर - इसे कपूर तुलसी भी कहते है। 
2. भीम सेनी कपूर, 
3. चीनी

●निर्माण भेद से -

1. पक्व - यह कृत्रिम रूप से पाक विधी से निर्मित किया जाता है। वृक्ष के मूल, काण्ड के द्वारा उर्ध्वपातन विधी से तेल एवं कपूर प्राप्त करते है।

2. अपक्व - वृक्ष के कोटरों में प्राकृतिक रूप से संचित होता है। अपक्व कर्पूर उत्कृष्ट होता है ।।

●भीमसेनी कपूर प्राकृतिक कपूर है जिसे आयुर्वेदिक कपूर के नाम से भी जाना जाता  है। 
 यह कपूर प्राकृतिक होने के कारण यह कोई विशेष आकार में नहीं मिलता। यह दिखने में स्फटिक जैसा होता है। 
-और ये जानकारी नहीं भी हो तो भीमसेनी कपूर से हमारा मन प्रफुल्लित और दिमाग तरोताजा  हो जाता है उसकी महक मात्र से हमारे अंदर एक नवचेतना का सृजन हो जाता है।

●रस पंचक

> वीर्य     - शीत।
> विपाक  -  कटु।
> गुण      - लघु, तीक्ष्ण।
> रस       - तिक्त, कटु।

●कर्म एवं आमयिक प्रयोग- 
> त्रिदोषनाशक होता है।
>  इसका लेप कोथप्रशमन, रक्तोत्क्लेशक, वेद   तथा त्वक रोग नाशक होता है।
>अरूची, अग्निमांद्य, अतिसार तथा वृक्क रोगों में   यह उत्तम औषध है।
> उत्तम हृदय उ्तेजक  होता है।
> कफ नि:सारक होने के कारण श्वास कास रोगों में  प्रयुक्त होता है।
>वीर्यपात में सोते समय 2 रत्ती कर्पूर की गोली खुरासनी अजवायन के साथ दी जाती है।

●विशिष्ट योग - कर्पूरासव, अमृत बिन्दु, अर्क कपूर, कर्पूर रस।

●प्रयोग विधी-
>  शर्करा तथा दूध में मिलाकर देना चाहिए।
>तीव्रविष लक्षण - अधिक लेन से  छर्दि, भ्रम,   पक्षाघात आदि रोग हो सकते है।

चिकित्सा - आमाशय प्रक्षालन  एवम विरेचन                      द्वारा   संशोधन करेें ।।

            कपूर के अन्य फायदे :-

◆कोई भी प्रयोग  चिकित्सक के परामर्श के  अनुसार ही करें -यहाँ प्राकृतिक कपूर का प्रयोग करें।।

●आपकी कपूर पूजा की जो सामग्री है उसका एक बहुत ही जरूरी हिस्सा होता है, वो है कपूर.


● क्या आप जानते हैं _इस कपूर के कई औषधीय फायदे भी हैं. मगर ये भी जानना बहुत जरूरी है आप किस तरह से इसका इस्तेमाल करेंगे, क्योंकि गलत तरह से इस्तेमाल करने से कपूर हानिकारक भी हो सकता है.

सबसे जरूरी चीज है जो पूजा में कपूर इस्तेमाल करते हैं उसे हमेशा किसी ताले वाली जगह में रखिए, क्योंकि कई बार छोटे बच्चों को लगता है ये चीनी की चींज है यानी ये मीठा है और उसे खा लेते हैं और छोटे बच्चों के लिए ये बहुत ही जानलेवा होता है.।।

●. कपूर को हमेशा बंद करके रखना चाहिए. जब आप कपूर को जलाते हैं तो उसकी जो महक होती है, उसका जो अरोमा होता है उससे छोटे-छोटे कीटाणु, फंगल, वायरस वो सभी नष्ट हो जाते हैं, इसलिए कपूर को पूजा में भी इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ये एक तरह का नेचुरल एयर प्युरीफायर है.।।

कपूर ऑयल का भी बहुत फायदा है. जो भी आप मसाज ऑयल इस्तेमाल करते हैं, अगर आपके जोड़ों में दर्द है, उसमें थोड़ा सा अगर 2-3 बूंद आप कपूर तेल डाल लें, तो उससे आप देखेंगे आपको दर्द में राहत मिल रही है जो आपको अन्य मसाज तेल से नहीं मिल पाता.।।

●. एक और इसका बहुत बड़ा फायदा है कि जिनको खांसी, नजला, जुकाम और गले में दर्द हो रहा है, अगर वो अपनी स्टीम में हल्का सा कपूर का तेल डाल लें और उसकी भांप ले तो उससे भी एक तरह का नैचुरल डिकंजेस्टेंट हैं. यानी ये फ्लेम को डीकंजेस्ट करता है.।।

●. कपूर के तेल का एक और बहुत बड़ा फायदा है और वो है ये एंटी फंगल और एंटी इंफेक्टिव है.
पुराने जमाने में तो कपूर का तेल इस्तेमाल होता था बाकि क्रीम के साथ एक एंटी फंगल एजेंट या एंटीसेप्टीक के तौर पर. और इस क्रीम को लगाने से जिसके अंदर थोड़ा सा कपूर का तेल हो इंफेक्शन की रोकथाम होती है खासकर जब त्वचा की समस्या हो.।।

●. कपूर की कुछ बूंदे अगर आप अपने बालों के तेल में डालें तो आप देखेंगे फंगल इंफ्केशन जैसे की इंचिंग एक दम बंद हो जायेगी.।।

●श्वेत प्रदर में ( लिकोराया)

श्वेत प्रदर की शिकार महिलाओं को अशोक की छाल दुग्ध कषाय लेना चाहिए। इस कषाय को बनाने के लिए लगभग ½ पाव, दूध और ½ पाव छाल और उसमें आधा सेर जल मिलाकर इस मिश्रण को इतना गरम करें कि सम्पूर्ण जल उड़ जाए।।

मात्रा -, जल उड़ जाने के पश्चात् प्राप्त दूध की लगभग 3-3 तोला मात्रा दिन में दो बार लें। 

प्रयोग काल -यह प्रयोग मासिक स्राव के 4 दिन पश्चात् प्रारंभ करें। इस प्रकार यह स्त्रियों के लिए अमोघ औषधि है।

●फटी एड़िया बहुत कष्टकारी होती हैं, कई बार तो एड़िया इतनी फट जाती हैं के इनमे खून तक आने लग जाता हैं, ऐसे में हम तरह तरह के उपाय करते हैं और महंगी क्रीम भी इस्तेमाल करते हैं मगर आराम नहीं मिलता। आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसा घरेलु नुस्खा जिसको अपनाने से आपको पहले दिन से ही आराम मिलना शुरू होगा और थोड़े दिनों में ही आपकी एड़िया पहले के जैसे हो जाएँगी।

सामग्री -
सरसों का तेल 50 मि ली
देशी मोम 25 ग्राम
देशी कपूर 5 ग्राम

बनाने की विधि
सरसों के तेल को गर्म करे, 
जब ये तेल उबलने लगे, तो इसमें धीरे धीरे मोम मिला दीजिये।
 जब मोम पूरी तरह घुल कर मिल जाए, तो आग बंद कर दे और बर्तन को आंच से उतार लीजिये अब इसको ठंडा होने दे।
 जब ये थोड़ा गुनगुना रह जाए तो इसमें कपूर मिला लीजिये। अभी ये बिवाईयों के लिए बहुत बढ़िया मलहम बन गया।

लगाने की विधि-
रात को पैरो को अच्छी तरह गर्म पानी से धो कर इस मलहम को बिवाईयों में लगाइये, आपको पहले दिन से आराम मिलने लगेगा.. 
🙏🏻
एंटीवायरल -
*2 लोंग
*1 इलायची
*1 कपूर कि टिक्की
*1 फूल  जावित्री का

*यह सभी एक कपडे कि पुड़िया बनाएं और उसको हमेशा अपने अपने पॉकेट मे रखें।
*कोरेना तो क्या कोई बायरस भी आपको नुकशान नहीं पंहुचा सकता अपने बच्चो को विशेष यह जरूर बना कर  दें।

कपूर को सूंघने से हमारे मस्तिष्क में लेकवस नामक रसायन अधिक सक्रिय हो जाता है जिसका खास उपयोग निर्णय क्षमता के लिए होता है। 

कपूर को सूंघने से हमारे नाक के अंदर अगर सूंघने की क्षमता कम हो गयी हो तो वो बढ़ जाती है। 

●घर में कपूर जलाने से ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। 

कपूर को रुमाल में गर्म करके गले को सेका जाए तो गले की बीमारियों में आराम मिलता है और बन्द गला खुल जाता है। 

हमारी eye brow मतलब भौहें उनके ऊपर सेक देने से धीरे धीरे चश्मे के नम्बर कम होने लगते हैं। 

कपूर का उपयोग जलाने से ज्यादा उसे Evaporate  करने में करें। अधिक मात्रा में कपूर जलाने से आंखों में जलन होकर आंखों को नुकसान भी हो सकता है। 

कपूर और नमक पानी मे डालकर उसमे पैर डालकर सेक लेने से पैरों की सूजन कम होती है और दर्द में भी आराम मिलता है।

●वातावरण में से नकारात्मकता को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है और पूरा वातावरण पवित्र और सुगन्धित हो जाता है। 

कपूर को गर्म पानी में डालकर बफारा लेने से सर्दी,जुकाम में बहुत आराम मिलता है और शुरुआती लक्षण हो तो ठीक भी हो जाता है। 

●बच्चों के सिर,नाक,छाती पर कपूर लगा सकते हैं लेकिन सावधानीपूर्वक। बच्चे की आयु का विशेष ध्यान रखते हुए मात्रा कम अधिक करें। 

●आप अपने बैग ,पर्स,वॉलेट में रख सकते हो। 

●तिल के तेल में कपूर डालकर हल्का सा गर्म करके जहां भी संधि वात(joint pain) हो वहाँ हल्के हाथ से मालिश करने से उस दर्द में तुतंत आराम मिलता है वह खाने की परहेजी के साथ यह दर्द खत्म भी हो जाता है। 

खोरा(Dandruff) की समस्या जिनको हो वो तिल के तेल में कपूर डालकर बालों की जड़ों में मालिश करें तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। 

कपूर को सरसों(राई) के तेल में डालकर पैर के तलवों को मालिश करने से थकान दूर होती है। 

नाभि में कपूर लगाने से शरीर का रक्तसंचार सही रूप से कार्य करने लग जाता है और पेट सम्बंधित बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है लेकिन ये आप वैद्यकीय सलाहनुसार करें तो उचित रहेगा।

●पूजा के समय वातावरण सुंगन्धित करने के लिए आरती में कपूर का उपयोग किया जाता है। 

●तिरुपति बालाजी के प्रसाद लड्डू में भी भीमसेनी कपूर का उपयोग किया जाता है। 

●दांतों के दर्द में दांत के नीचे दबाने से दांत का दर्द दूर होता है। 

●कपड़ों में रखने से कपड़ों में से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और कपड़ों में से अच्छी सुगंध आती है। 

●घर में कपूर के नियमित प्रयोग से मच्छर, कोकरोज ,चूहे और छिपकली भी भाग जाते हैं।

खांसी-जुकाम से लेकर जोड़ों का दर्द तक ठीक कर सकता है कपूर..।

●हमारी प्रकृति में ही हमारे सभी रोगों की उपचार छुपी हुई है , आएं प्रकृति की ओर बढ़ चलें ,आयुर्वेद अपनाएं ।।

                   जय आयुर्वेद😊

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